
जिस स्थान पे भगवान की कथा होती है उस स्थान पे बैठने वालों को अपने कान और मुह दोनों खोलने चाहिए। अर्थात कथा को ध्यान से सुनना चाहिए तथा भगवान की जय भी बोलनी चाहिए । यदि भक्ति के लिए न हो तो अपने स्वार्थ के लिए ही बोलना चाहिए। इसके पीछे भी एक रोचक तथ्य है । जहाँ पर भी भगवान की कथा होती है उस स्थान पे एक चुम्बकत्व उत्पन्न हो जाता है । और संसार का सब यश वैभव सम्पन्नता और सुख आते है । सभी ३३ करोड़ देवी देवता आते हैं । और साथ ही साथ संसार का पाप लोभ बुराई और द्वेष भी आते हैं । ये भी भागवान से कहते है की हमको भी भीतर आने दीजिये । भगवान कहते है की तुमको तो मेरे नाम से चिढ है । इसलिए जो भी कथा न सुन रहा हो उसके कान में जाकर बैठ जा जो जय न कहे उसके मुह में जा के बैठ जा और उसके साथ उसके घर चला जा और उसको दुखी कर । अतः भगवान के भजम में सदा मन और आत्मा शुद्ध करके रहना चाहिए ।
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