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Tuesday, July 13, 2010



दरिया में दीप स्तम्भ तुम , अंधकार में ज्योति तुम , निराश मन की आशा तुम भटके को दिखाओ राह तुम ,धुप से छाओं की आस तुम , ज्ञान की बुझाओ प्यास तुम जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ,
जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
  नदिया जैसी चंचलता , गगन के जैसी अखंडता 
, चन्द्र प्रकाश की शीतलता
पर्वत जैसी निश्चलता , नर्म धुप सी कोमलता ,
 तेरे गुणों की क्या सीमा
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ,
जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
घोर अँधेरा दूर सवेरा , काल चक्र का कैसा फेरा , दीन हीन को आसरा तेरा साथ मुझे है बस तेरा 
, संकट मोचन तू मेरा , मोक्ष मार्ग तू ही मेरा
  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
  दरिया में दीप स्तम्भ तुम , अंधकार में ज्योति तुम
निराश मन की आशा तुमभटके को दिखाओ राह तुम
धुप से छाओं की आस तुम , ज्ञान की बुझाओ प्यास तुम
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहूँ लोक उजागर
  जय हनुमान ज्ञान गुण सागर , जय कपीश तिहूँ लोक उजागर

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