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Tuesday, July 13, 2010
हनुमान और राम भाई-भाई
हनुमान जी की माता अंजनी भगवान शिव की परम भक्त थी । वह प्रतिदिन भगवन शिव की पूजा करती थी । एक दिन उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवन शिव ने उन्हें दर्शन दिए और मनचाहा वर मांगने को कहा । माता अंजनी ने परम भक्त और महा बलशाली पुत्र की कामना की । भगवान उन्हें आशीष देकर कहा की " तुम प्रातः अंजलि की मुद्रा बना कर सूर्य देव की ओर मुह करके कड़ी हो जाना , जब कोई चील तुम्हारी अंजलि में खीर गिरा जाये तो उसे खा लेना उसी से तुम्हारे तेजस्वी पुत्र होगा और यह कहकर वो चले गए ।
दूसरी ओर महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए हवं किया जिसमे स्वयं अग्निदेव ने आकर प्रसाद दिया , तीनो रानियों कौशल्या कैकई और सुमित्रा को एक एक कटोरी खीर मिली परन्तु कैकई की खीर को एक चील ले उडी । माता कोषालय ने अपने हिस्से की आधी खीर कैकई को देदी जिससे राम भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न पैदा हुए ।
जो खीर चील ले गयी थी उसे उसने माता अंजनी के पास गिरा दिया जिसे माता अंजनी ने ग्रहण कर लिया और हनुमान जी का जन्म हुआ ।
इसी प्रकार हनुमान और राम जी एक ही खीर से जन्मे इसी लिए दोनों भाई मने जाते हैं । श्री राम स्वयं कहते हैं की हे हनुमान तुम मुझे लक्ष्मण सामान भाई हो भारत सामान भाई हो ।
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