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Friday, August 6, 2010

है नमन उनको की जो यश काय को अमरत्व , देकर इस जगत के शोर्य की जीवित कहानी हो गए है
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय , जो धरा पे गिर पड़े पर आसमानी हो गए है

पिता जिसके रक्त ने उज्व्वल किया कुल वंश माथा , माँ वही जो दूध से इस देश की राज तोल आयी
बहेन जिसने सावनो में भर लिया पतझर स्वयं ही , हाथ उलझे कलाई से जो राखी खोल लायी
बेटियां जो लोरियों में भी प्रभाती सुन रहीं थी , पिता तुम पर गर्व है चुपचाप जा कर बोल आयीं
प्रिय जिसकी चूड़ियों में सितारे से टूटते थे , मांग का सिन्दूर देकर जो उजाले मोल आयीं

है नमन उस देहरी को जहाँ तुम खेले कन्हिया ,घर तुम्हारे परम तप की राजधानी हो गए हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय , जो धरा पे गिर पड़े पर आसमानी हो गए है

हमने लौटाए सिकंदर सर झुकाए मात खाए , हमसे भिड़ते है वो जिनका मन धरा से भर गया है
नरक में तुम पूछना अपने बुजुर्गों से कभी भी , उनके माथे पर हमारी ठोकरों का ही बयां है
सिंह के दांतों से गिनती सीखने वालों के आगे , शीश देने की कला में क्या अजब है क्या नया है
जूझना यमराज से आदत पुराणी है हमारी , उत्तरों की खोज में फिर एक नचिकेता गया है

तो है नमन उनको की जिनकी अग्नि से हारा प्रभंजन , काल कौतुक जिनके आगे पानी पानी हो गए हैं
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय , जो धरा पे गिर पड़े पर आसमानी हो गए है

लिख चुकी है विधि तुम्हारी वीरता के पुण्य लेखे , विजय के उद्घूश गीता के कथन तुमको नमन है
राखियों की प्रतीक्षा सिंदूर दानो की व्यथाओं , देश हित प्रतिबद्ध यौवन के सपन तुमको नमन है
बहेन के विश्वास भाई के सखा कुल के सहारे , पिता के व्रत के फलित माँ के नयन तुमको नमन है
कंचनी तन चंदनी मन आह आंसू प्यार सपने , राष्ट्र के हित कर गए सब कुछ हवं तुमको नमन है

तो है नमन उनको जी जिनको काल पाकर हुआ पावन , है नमन उनको की जिनको मृतु पाकर हुई पावन
शिखर जिनके चरण छूकर और मानी हो गए हैं ...................................................................................
है नमन उनको की जिनके सामने बौना हिमालय , जो धरा पे गिर पड़े पर आसमानी हो गए है

है नमन उनको की जो यश काय को अमरत्व , देकर इस जगत के शोर्य की जीवित कहानी हो गए है



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